‘अर्धविलुप्ति’ का संकट सम्राट पेंगुइन पर मंडरा रहा

अंटार्कटिका, पृथ्वी की सबसे ठंडी जगह, अब जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण बदल रहा है। इस बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव उसके स्थानीय जीवन पर हो रहा है, विशेष रूप से सम्राट पेंगुइन पर।

सम्राट पेंगुइन, जो अंटार्कटिका का प्रमुख प्रतीक माना जाता है, अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के हाल के अध्ययन में पता चला है कि समुद्री बर्फ की कमी के कारण इस प्रजाति का अस्तित्व खतरे में है।

यह पेंगुइन समुद्री बर्फ पर पूरी तरह निर्भर है, विशेष रूप से जब बात उनके बच्चों के प्रजनन और पोषण की हो। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती हुई गर्मी और समुद्री बर्फ की कमी ने उन्हें उनके प्रजनन स्थलों से बाहर धकेल दिया है। इसके परिणामस्वरूप, चूजों के पंख सही समय पर विकसित नहीं हो पाते, जिससे वे संघर्ष करते हैं और अकेला छूट जाते हैं।

विज्ञानियों का मानना है कि यदि जलवायु परिवर्तन की वर्तमान प्रवृत्तियां जारी रहीं, तो इस सदी के अंत तक 90% सम्राट पेंगुइन अर्ध विलुप्त हो सकते हैं।

इस समस्या का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है, जो अंटार्कटिका की स्थिति को और भी जटिल बना रहा है। समुद्री बर्फ की कमी, समुद्र का उच्च स्तर, और उचित पारिस्थितिकी तंत्र की गुमराही, इन सभी चीजों ने सम्राट पेंगुइन को संकट में डाल दिया है।

अंटार्कटिका का संरक्षण करना सिर्फ पेंगुइनों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए भी। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से मुक्त होने के लिए हमें ग्लोबल उचित प्रयासों की जरूरत है, ताकि हम अपने आने वाले पीढ़ियों को एक स्वस्थ और संरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र में जीवन जीने का मौका दे सकें।

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