भारत की पहली महिला IFS अधिकारी

भारतीय विदेश सेवा में महिलाओं का योगदान अब तक सीमित था, लेकिन चोनिरा बेलियप्पा मुथम्मा जैसी महिलाओं की बजह से आज यह परिप्रेक्ष्य बदल चुका है। उन्होंने न केवल भारतीय विदेश सेवा में महिला अधिकारियों के लिए पथ प्रशस्त किया, बल्कि लैंगिक समानता के मुद्दे पर भी अद्वितीय योगदान दिया।

मुथम्मा का जन्म 1924 में मंगलूरु में हुआ था। वे अपने जीवन में अनेक बारियों का सामना करने पर भी हार मानने का नाम नहीं ली। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की और 1949 में वे पहली महिला भारतीय विदेश सेवा अधिकारी बन गईं।

उनकी उपलब्धियों में से एक बड़ी उपलब्धि यह भी थी कि वे पहली महिला थीं, जो एक पूर्व और मध्य एशियाई देश के राजदूत के रूप में नियुक्त हुईं। वे इंडिया की राजदूत के रूप में हंगरी, घाना और दक्षिण कोरिया में भी सेवानिवृत्त हुईं।

लेकिन उनका योगदान सिर्फ विदेश सेवा तक ही सीमित नहीं था। मुथम्मा ने महिला अधिकारों के मुद्दे पर भी बहुत काम किया। वे विशेष रूप से महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अधिकार के लिए संघर्ष किया।

उनकी म्रित्यु 2009 में हो गई, लेकिन उनकी जीवन यात्रा और उनकी उपलब्धियों को आज भी हम याद करते हैं। वे हमें प्रेरित करती हैं कि हम किसी भी बाधा का सामना कैसे करें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कैसे करें।

आज भी भारतीय विदेश सेवा में महिला अधिकारियों की संख्या बढ़ रही है, और इसमें चोनिरा बेलियप्पा मुथम्मा का योगदान अमिट है। उन्हें उनके अद्वितीय योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*