19 सितंबर का दिन भारतीय संसदीय इतिहास में सोने की अक्षरों में लिखा जाएगा। इस दिन भारत सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव पेश किया। इस ऐतिहासिक निर्णय से न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया, बल्कि समाज में समानता और सहयोग की भावना को भी मजबूती दी गई।
इस संशोधन से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिलाओं के लिए भी सीटों का आरक्षण सुनिश्चित होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि इन समुदायों की महिलाएँ भी संसद में अधिक प्रतिनिधित्व प्राप्त कर सकें।
महिलाएँ हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, और उनकी प्रतिनिधित्व से संसद में नई ऊर्जा, नई दिशा, और नई सम्भावनाएँ आएंगी। इस संशोधन के माध्यम से उन्हें सशक्त, स्वावलंबी और समाज में समान अधिकार प्राप्त होंगे।
हालांकि, यह संशोधन सिर्फ एक शुरुआत है। आवश्यक है कि आम जनता, समाजसेवी संगठन, और अन्य सामाजिक संगठन महिलाओं के सशक्तिकरण के इस मिशन को समर्थन दें।
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