नेचर जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से हमें मानव स्वास्थ्य और मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्वों के बीच एक गहरा संबंध दिखाई देता है। मिट्टी और उसकी उपजीविता मानव समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसके आहार और परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान करती है।
अध्ययन इस बात को स्थायी रूप से प्रमाणित करता है कि जिन इलाकों में मिट्टी में पोषक तत्व की कमी होती है, वहां बच्चों और महिलाओं में पोषण संक्रांत समस्याएँ अधिक होती हैं। जैसे कि अध्ययन में बताया गया कि जिंक की उचित मात्रा में उपलब्धता से बच्चों के विकास में सुधार आता है, जबकि जिंक की कमी से वह विकसित नहीं हो पाते। इसी तरह, आयरन की उपलब्धता एनीमिया जैसी स्थितियों के प्रकोप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है।
इस अध्ययन में भारत की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत 27 मिलियन से अधिक मृदा परीक्षणों के डेटा का उल्लेख किया गया था। इस डेटा का मुख्य उद्देश्य भारतीय मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति को समझना था। उसी समय, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा से मानव स्वास्थ्य की स्थिति की जानकारी प्राप्त हुई।
इस अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष है कि मानव स्वास्थ्य का सीधा संबंध मिट्टी की गुणवत्ता से है। यदि हमें स्वस्थ समाज की उम्मीद है, तो हमें मिट्टी की उचित देखभाल और संरचना की जरूरत है। यह अध्ययन हमें यह बताता है कि स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी संबंध में अभिगम कैसे अधिक समझदारी से किया जा सकता है और कैसे हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर सकते हैं।
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