विश्वकर्मा योजना श्रमिकों और कारीगरों के लिये शुरु कि गईं

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर विश्वकर्मा योजना की घोषणा की, जिसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक श्रमिकों और कारीगरों को समर्थित करना है। 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ, यह योजना ओबीसी वर्ग के सुनार, लोहार और अन्य पेशेवरों के लिए है। यह 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर शुरू होगी।

स्वतंत्रता दिवस हमें न केवल उस समय की याद दिलाता है जब हमने अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की थी, बल्कि यह हमें उस नई उम्मीद, उस नवाचार और उस उन्नति की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है, जिसे हम आज भी देख रहे हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी संविधानिक अवसर पर विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की।

योजना में 13,000 रुपये से 15,000 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन होगा, जिसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक श्रमिकों और कारीगरों का कल्याण है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ओबीसी वर्ग से संबंधित सुनार, लोहार, धोबी, हेयरड्रेसर और राजमिस्त्री जैसे पेशेवर समुदायों को लाभ पहुंचाना है।

विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत, इन पेशेवर समुदायों को उनके काम में उन्नति, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपने काम को और अधिक प्रोफेशनल तरीके से कर सकें। यह योजना इन पेशेवरों को आर्थिक स्थिरता और समाज में सम्मान प्रदान करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस योजना की घोषणा न केवल इंडोनेशिया की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह देश के पारंपरिक और लोकप्रिय व्यापारियों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और समर्थन का भी प्रतीक है।

अंत में, यह कहना चाहिए कि विश्वकर्मा योजना केवल एक योजना नहीं है, बल्कि यह एक सपना है – जिसमें हर व्यक्ति की मेहनत, कौशल और समर्पण को सम्मान और सहायता प्रदान की जाती है।

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