केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 के लिए प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक 2.0 पर रिपोर्ट जारी की

पीजीआई (प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम) के अनुसार, हाल के वर्षों में राज्यों ने बच्चों को स्कूलों में जोड़ने में अच्छी प्रगति की है। लेकिन पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा की गुणवत्ता के मानकों में अभी भी काफी कमी है।


इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में उच्चतम संभावित परिणाम प्राप्त करने के लिए विभिन्न पहलों को प्रोत्साहित करना है। यह शिक्षा प्रणाली में अंतरालों की पहचान करने और उनके समाधान के लिए क्षेत्रों को प्राथमिकता देने में मदद करता है। नवीनतम प्रगति को ट्रैक करने के लिए यह संकेतक नीतियों के साथ सम्बंधित है जो विवेकशील निर्णय लेने के लिए उपयुक्त हैं।

इसका कारण कई हो सकते हैं:

  1. अभावी शिक्षा ढांचा: कुछ राज्यों में शिक्षा के ढांचे में कमी हो सकती है। शिक्षा के लिए अच्छी इंफ्रास्ट्रक्चर, पाठ्यक्रम का मानक और शिक्षकों की प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  2. भूमिका में बदलाव की गुंजाइश: कुछ राज्यों में शिक्षा प्रणाली में भूमिका में बदलाव की आवश्यकता होती है। इसमें शिक्षकों की भूमिकाओं में बदलाव, सक्रिय शिक्षा की व्यवस्था, और विद्यार्थियों के सामरिक और सहभागी बनाने के लिए मूल्यांकन के मानकों में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं।
  3. अधिकारिक संरचना और निगरानी की कमी: शिक्षा के क्षेत्र में अधिकारिक संरचना और निगरानी की कमी भी गुणवत्ता के मानकों में कमी का कारण बन सकती है। इसके लिए एक अच्छा प्रशासनिक माध्यम और सुसंगत निगरानी आवश्यक होती है।
  4. शिक्षा की अभावता: कुछ स्थानों पर बच्चों की शिक्षा में अभावता हो सकती है, जो उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित कर सकती है। इसमें गरीबी, सामाजिक-आर्थिक प्रतिबंध, और असामान्यताएं शामिल हो सकती हैं।

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, सरकार को शिक्षा में निवेश और सुधार करने के लिए अधिक माध्यम और संसाधन प्रदान करने की जरूरत होती है। शिक्षा में अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम, शिक्षकों की प्रोफेशनल विकास की व्यवस्था और अधिक शिक्षकों की भर्ती पर ध्यान देना आवश्यक होता है। साथ ही, शिक्षा को अधिक संवेदनशील बनाने के लिए अभिभावकों, समुदायों, और स्थानीय संगठनों की सहभागिता भी महत्वपूर्ण है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*