आर्मेनिया और अज़रबैजान: सीमा मार्कर के साथ संबंधों में सुधार

नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में दोनों देशों, आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच एक लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद, अब एक सकारात्मक कदम की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इस संघर्ष के बाद, दोनों देशों ने पहली बार सीमा मार्कर के साथ अपनी सीमा को स्थापित किया है। इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच शांति की संभावनाओं को मजबूत करता है।

1990 के दशक से शुरू हुआ जातीय अर्मेनियाई-अज़रबैजानी संघर्ष, नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र के राजनैतिक और भौगोलिक स्थिति को गंभीर रूप में प्रभावित किया। इस क्षेत्र का अज़रबैजानी द्वारा पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने का प्रयास, जिसे अर्मेनियाई जनसंख्या ने समर्थन दिया, सीमा संघर्ष को और भी तीखा बनाया।

हालांकि, हाल ही में दोनों देशों ने शांति संधि की दिशा में कदम बढ़ाया है। विशेषज्ञों की टीमें सीमा मार्कर के साथ काम कर रही हैं ताकि सीमा की स्थिति को स्पष्ट किया जा सके। इस प्रक्रिया से सिद्ध होता है कि दोनों देशों की इच्छा है कि वे संघर्ष की दिशा में नहीं बल्कि शांति और सहमति की दिशा में आगे बढ़ें।

इस सीमा समझौते के माध्यम से, आर्मेनिया और अज़रबैजान ने व्यापारिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक-दूसरे के साथ समन्वय और सहयोग की दिशा में गहराई बढ़ाने का संकल्प दिखाया है। इस साथी चरण के माध्यम से, ये दोनों देश राजनीतिक स्थिति को सुधारने और प्रशांति की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।

समाप्तिमें, नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच सीमा समझौते की यह पहल एक सकारात्मक कदम है जो दोनों देशों के बीच संघर्ष को सुलझाने की दिशा में है। इससे दोनों देशों की शांति और समृद्धि के लिए एक नई उम्मीद की किरण उमड़ी है।

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