हार्वर्ड लॉ स्कूल ने CJI चंद्रचूड़ को “वैश्विक नेतृत्व के लिए पुरस्कार” से सम्मानित किया

हार्वर्ड लॉ स्कूल, जिसे वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छे कानूनी शिक्षा संस्थानों में से एक के रूप में माना जाता है, ने हाल ही में अपने प्रतिष्ठित पूर्व छात्र और भारत के मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चंद्रचूड़ को ‘वैश्विक नेतृत्व पुरस्कार’ से सम्मानित किया।

यह सम्मान डीवाई चंद्रचूड़ के कानून और न्याय के क्षेत्र में की गई असाधारण योगदान को पहचानने का परिणाम है। चंद्रचूड़ जी ने अपने कार्यकाल में न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी न्याय के मूलभूत अधिकारों, मानवाधिकार और समाज में समानता की प्रतिष्ठा के लिए काम किया।

उनके निर्णय और विचारधारा ने अक्सर अदालत के कामकाज को अधिक पारदर्शी, समझदार और जनहित में जारी बनाया। उनकी विचारधारा और न्यायिक प्रवृत्ति ने न्यायिक प्रक्रिया को साधारण लोगों के लिए अधिक सुलभ और समझने योग्य बनाया।

हार्वर्ड लॉ स्कूल द्वारा प्रदान किया गया यह सम्मान उनके उद्धारणीय योगदान को पहचानता है और उन्हें एक ऐसे वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करता है जिसने अपनी विचारधारा और संघर्ष से विश्व में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जब बात होती है भारतीय न्यायिक व्यवस्था के सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित चेहरों की, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का नाम विशेष रूप से उल्लेख किया जाता है। और उनके विवेचनात्मक और उत्कृष्ट न्यायिक मार्गदर्शन के पीछे हार्वर्ड लॉ स्कूल से प्राप्त उच्च शिक्षा का भी अभिन्न योगदान है।

चंद्रचूड़ जी का हार्वर्ड लॉ स्कूल से संबंध 1980 के दशक में शुरू हुआ। वहाँ पढ़ाई करते समय उन्होंने कानूनी अध्ययन में नई और गहन समझ प्राप्त की। 1982 से 1983 में, उन्होंने मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) में उत्कृष्टता प्रदर्शित की और उसी उत्कृष्टता को लेकर 1983 से 1986 तक उन्होंने डॉक्टर ऑफ ज्यूरिडिकल साइंस (एसजेडी) में अपनी पढ़ाई जारी रखी।

हार्वर्ड ने उन्हें उस विश्वविद्यालयी तालीम दी, जिससे वह संविधान, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दों पर अधिक जानकारी और समझ प्राप्त कर सके। उनकी हार्वर्ड में बिताई गई वर्षों में प्राप्त जानकारी और ताजगी ने उन्हें भारत में न्यायिक सेवा में शामिल होने के लिए पूरी तरह से सजीव और सजग बना दिया।

उनका कानूनी संवाद और न्यायिक फैसले हार्वर्ड शिक्षा की गहरी समझ और वैश्विक दृष्टिकोण को प्रकट करते हैं। उनकी यात्रा, हार्वर्ड की शिक्षा से शुरू होकर भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुँचने, उनकी समर्पण, समर्थन और संघर्ष की प्रतीक है।

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