भारतीय नौसेना में तीसरा गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, इंफाल शामिल हुआ

वर्तमान समय में, जब वैश्विक ताकतें समुद्री प्रशासन और सुरक्षा में अपनी प्रतिस्पर्धा में उत्कृष्टता प्राप्त करने की कोशिश में हैं, भारतीय नौसेना ने अपनी शक्ति और आत्म-विश्वास में एक और महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है। 20 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना में एक नई स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, यार्ड 12706 (इम्फाल) को संलग्न करना इस संकेत का प्रतीक है कि भारत अब समुद्री सीमा की सुरक्षा में और भी मजबूत हुआ है।

“इम्फाल” का शामिल होना सिर्फ भारतीय नौसेना के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए भी एक गर्व का क्षण है। इसके पीछे की सोच स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने की ओर भी इशारा करती है। भारत अब समुद्री युद्धपोत निर्माण में विश्व स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर रहा है, जिससे हमारी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और मजबूती में वृद्धि हो रही है।

हिंद महासागर क्षेत्र विशेष रूप से भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहाँ अनेक देशों की निगाहें इस समय हैं। इसलिए, ऐसे उत्कृष्ट और अद्वितीय संविधानों की जरूरत हमेशा से थी। इम्फाल की जोड़ाई गई तकनीकी सामर्थ्य से नौसेना को एक नई ऊंचाई प्राप्त होगी जो अन्य देशों के साथ समुद्री सीमा में होने वाली प्रतिस्पर्धा में भारत को एक मजबूत स्थानीयता प्रदान करेगी।

भारतीय नौसेना की नई ताकत: इंफाल

भारतीय नौसेना की उत्कृष्टता और प्रगति अब एक और नवाचारी जहाज, इंफाल, के समर्थन से और भी मजबूत हो गई है। प्रोजेक्ट 15बी के अंतर्गत बनाया गया इस जहाज का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा किया गया है।

यह जहाज, पिछले दशक में सेवानिवृत्त हुए कोलकाता श्रेणी (परियोजना 15ए) विध्वंसक का उत्तराधिकारी है। इस प्रकार, इंफाल भारतीय नौसेना की पारंपरिक ताकत और उनकी नई प्रगतिशील तकनीकी क्षमताओं का संगम है। इस जहाज का मुख्य उद्देश्य समुद्र में सुरक्षा और प्रभावितता को बढ़ाना है।

पूर्ववर्ती जहाजों विशाखापत्तनम और मोर्मुगाओ की तरह, इंफाल भी उन्हीं प्रमुख गुणवत्ता परिप्रेक्ष्यों और तकनीकी विशेषताओं को संजोता है जिससे भारतीय नौसेना को अपने प्रतिस्पर्धियों से एक कदम आगे रहने में सहायता मिलती है।

इंफाल के समर्थन में हुए इस नवीनतम विकास से भारतीय नौसेना ने स्वयं को एक विश्व स्तरीय समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित किया है। यह न केवल भारतीय समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय सागरिक सुरक्षा के प्रतीक के रूप में भी कार्य करता है। अंत में, इसे एक संविधानिक प्रतीक और भारतीय नौतिक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है, जो अब पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है।

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