भारत का तापमान तेजी से बढ़ रहा

जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। इसकी प्रमुख वजह हमाने किए गए पारिस्थितिकी तंत्र में हस्तक्षेप है। विगत कुछ वर्षों में, भारत में भी जलवायु परिवर्तन के असमान वितरण के प्रभाव को महसूस किया गया है।

क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट इस तथ्य को स्थायित करती है कि भारत में अधिकतम तापमान में वृद्धि हो रही है। केरल, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार जैसे क्षेत्र में तापमान में अच्छा कुछ वृद्धि हुई है, जिसे सीएसआई स्तर 3 से तुलना की जा सकती है।

सीएसआई, यानी जलवायु परिवर्तन सूचकांक, यह दर्शाता है कि जलवायु कितने तेजी से परिवर्तित हो रहा है। जब यह सूचकांक 3 या उससे अधिक होता है, तो यह इस तथ्य की पुष्टि करता है कि जलवायु में तेजी से परिवर्तन हो रहा है।

भारतीय राज्यों में तापमान में वृद्धि का असमान वितरण है, जिसमें कुछ राज्यों में औसत से अधिक तापमान है जबकि कुछ में औसत से कम। यह असमानता जलवायु परिवर्तन के अवबोधन के लिए एक चुनौती पैश करती है।

जलवायु परिवर्तन के इस असमान वितरण के प्रभाव हैं जैसे की बारिशों में असमानता, सूखा, और बाढ़ जैसी प्राकृतिक प्रकोपों की अधिक संख्या।

अंत में, जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभाव को समझना और उस पर कार्य करना महत्वपूर्ण है। यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र, अर्थशास्त्र, और समाज पर प्रभावित करता है। भारत में जलवायु परिवर्तन के असमान वितरण को महसूस करने का समय आ गया है, और इस पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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